शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

विज्ञान---जीवों की निराली दुनिया










बच्चों हमारी इस धरती पर हजारों,लाखों तरह के जीव जंतु रहते हैं. कुछ जमीन पर चलने वाले कुछ पानी में तैरने वाले,हवा में उड़ने वाले या फ़िर जमीन पानी दोनों में रहने वाले.जिस तरह हमारी आदतें,रहन —सहन के ढंग अलग —अलग होते हैं.वैसे ही जानवरों की भी आदतें अलग —अलग तरह की होती हैं.हम आज तुम्हें इन्हीं में से कुछ की मजेदार बातें बता रहे हैं.
सबसे पहले हम बात करेंगे मानीटर छिपकली की.तुम्हारे घरों में दीवालों पर दिखने वाली छिपकली कितनी लम्बी होती है?तुम कहोगे ४ या ५ इंच.लेकिन हम जिस मानीटर छिपकली की बात कर रहे हैं इसकी लम्बाई होती है १० फीट और वजन लगभग १३६ किलोग्राम.चौंक पड़े न पढ़ कर.ये छिपकली इंडोनेशिया के कमोडो द्वीप समूह में पाई जाती है.इसीलिये पूरी दुनिया में इसे कमोडो ड्रैगन कें नाम से जाना जाता है.ये मानीटर छिपकली की ३० प्रजातियों में से एक है.

इसके मुंह में साँपों की तरह दो नोकों वाली जीभ होती है.इंडोनेशिया के आलावा ये अफ्रीका,पश्चिमी एशिया तथा आस्ट्रेलिया में भी पाई जाती है.मादा कमोडो ड्रैगन एक से तीन अन्डे एक बार में देती है.ये चिडियों,रेंगने वाले जीवों मसलन मेढक,काक्रोच,गिलहरी को अपना भोजन बनाती है.
एक मजेदार बात और है.इस छिपकली में कई विशेषताएं साँपों वाली होती हैं.ये साँपों की ही तरह अपने शिकार को समूचा निगलती है.ये जहरीली तो होती ही है.दूसरी छिपकलियों की तरह अपनी दुम भी नहीं गिराती .इन विशेषताओं को देख कर लगता है की साँपों और मानीटर छिपकलियों का परिवार कभी एक ही रहा होगा.

जब साँपों जैसी आदतों वाली छिपकली की बात चल रही है,तो हम तुम्हें साँपों की भी एक खास बात बता देते हैं.हम और तुम किसी गंध या महक को सूंघने के लिए अपनी नाक का इस्तेमाल करते हैं.क्या तुम जानते हो कि सांप किसी चीज को कैसे सूंघता है?सांप किसी चीज को सूंघता है अपनी जीभ से.हाँ,ये बात पूरी तरह सच है.सांप अपनी जीभ से एक तरह की भीनी गंध प्राप्त करते हैं.और इसी से वे शत्रु या अपने जोड़े की पहचान करते हैं.ये अपनी जीभ से हल्की से हल्की गंध को जितनी आसानी से सूंघ सकते हैं उतनी तेज कोई रेंगने वाला जीव नहीं सूंघ सकता.

छिपकली की ही तरह अपने घरों के बगीचों में या पौधों पर दौड़ते गिर्गिटान को तो तुम पहचानते ही हो.ये भी अपने आप में एक अलग तरह का जीव है.इसकी सबसे बड़ी खूबी तो यही है यह जगह के हिसाब से छिपने के लिए अपना रंग बदल लेता है.हरे पत्तों के बीच हरा,कभी गाढा भूरा या लाल.इसमें और भी कई खास बातें हैं.गिरगिट अपनी दोनों आँखों को अलग अलग किसी भी दिशा में घुमा सकता है.यानी दायी आँख से पूरब तो बांयी आंख से पश्चिम में देख सकता है.जब यह अपनी एक आंख खाने की तलाश में ऊपर घुमाता है तो दूसरी से नीचे किसी दूसरे शिकार या दुश्मन की टोह लेता है.मतलब कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना.

इसकी एक आश्चर्यजनक विशेषता और है.ये अपनी लम्बी जीभ को बहुत तेजी के साथ बाहर फेंक कर शिकार के साथ मुंह में खींच लेता है.और तुम्हें मालूम है इस काम में कितना समय लगता है? मात्र ०.०४ सेकेण्ड.अरे भाई इतने कम समय में तो हमारी पलक भी नहीं झपकती.सोचो कितना फुर्तीला होता है ये गिरगिट.

चलते -- चलते हम तुम्हें एक और जीव के बारे में बता देते हैं.इसे आग भी नहीं जला पाती.यह जीव है आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक छोटा सा गुबरैला.इसका असली नाम “मरीना अल्ट्राटा” है.इसकी खास बात यह है कि यह लाल दहकते कोयले पर भी रेंग सकता है.लेकिन इन गर्म कोयलों का इसके पैरों पर या इसके शरीर पर कोई असर नहीं होता है.
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हेमंत कुमार







3 टिप्‍पणियां:

  1. भाई हेमन्त जी।
    फुलबगिया पर मजेदार जानकारी उपलब्ध कराई है।
    धन्यवाद।

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  2. अच्छी जानकारी दी है अपने..
    अपने विज्ञान को खुद को अभिव्यक्त करने के लिए यह सराहनीय है.

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  3. हेमंतजी आपका ब्लोग बच्चों के लिये बहुत बडिया जान्कारी देने वल है इसे अप्ने नती को भेज रही हूँ धन्य्वाद्

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