शनिवार, 14 दिसंबर 2013

चंदा मामा

चंदा मामा चंदा मामा
तुम पर संकट आएगा
मैंने टी वी में देखा था
कोई बस्ती वहां बसाएगा।

क्या होगा फ़िर हम बच्चों का
खिलौने कौन दिलाएगा
चर्खा कात रही दादी को
गाने कौन सुनाएगा।


आओ बच्चों मिल जुल कर हम
ऐसी कोई जुगत लगाएं
कहीं छुपा दें उनको सब मिल
दुनिया उनको खोज न पाए।
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यशस्विनी पाण्डेय
हिन्दी शिक्षण और शोध कार्य से जुड़ी यशस्विनी हिन्दी की उभरती हुयी कवियत्री हैं।बड़ों के साथ ही इन्होंने बच्चों के लिये भी गीत लिखे हैं।फ़ुलबगियाब्लाग पर यह इनका पहला बालगीत है।सम्पर्क-- yashaswinipathak@gmail.com





10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्यारा गीत! शुभककमनाएं यशस्विनी जी को ..

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  2. बहुत ही मनमोहक है बाल गीत की आपकी रचनाएँ।

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  4. . "चंदामामा" से भला किसकी बाल स्मृतियाँ नहीं जुडी है ,.... "चंदा मामा दूर के.… " जैसी लोरियों की थाप पर भला किसका अबोध बचपन नहीं सोया है , जिस चंदामामा की लोरियों , गीतों और कहानियों से हमारे बालपन का इतना गहरा सम्बन्ध है , उसके कल्पना लोक के संसार को छीनने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता , यहाँ तक अपनी उपलब्धियों पर इठलाने वाले विज्ञानं को भी नहीं .... अपने चंदामामा को बचाने की ज़द्दोज़हद में उठ खड़े हुए कविता के इन नन्हें शब्दों का पराक्रम सभी को वाह …वाह … करने के लिए विवश कर देता है
    यशश्विनी , ये पंक्तियाँ खुद बता रहीं हैं कि तुम्हारे भीतर काव्य प्रतिभा का झरना पहले से व्याप्त था जिसका बहुत सा पानी बिना बिजली में तब्दील हुए बह गया....पर अब जबकि उसकी ऊर्जा को एक दिशा मिल गयी है तो उसके उत्सर्जित प्रकाश से हिंदी साहित्य का जगमगाना सुनिश्चित है ....

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (16-12-13) को "आप का कनफ्यूजन" (चर्चा मंच : अंक-1463) पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. कविता बच्चों के मन के अनुरूप है . खूब बधाई

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